सोमवार, 14 सितंबर 2015

देखा ना वीर हनुमान जैसा,
1.
तीर्थ ना देखा प्रयाग जैसा,
नाग नहीं कोई शेषनाग जैसा,
चिन्ह नहीं कोई सुहाग जैसा,
तेज नहीं कोई भी आग जैसा,
अरे जल नहीं कोई गंगाजल जैसा,
फूल नहीं कोई कमल जैसा,
शैला नहीं कोई गरल जैसा,
आज नहीं बिन देखा कल जैसा,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा
2.
पूरब से सूरज निकलता
नभ लालिमा से लजाये,
लाल जोड़े में दुल्हनिया
जैसे घूँघट में शरमाये।।।
अवतारी नहीं कोई राम जैसा,
पितृभक्त नहीं परशुराम जैसा,
छलिया नहीं घनश्याम जैसा,
धाम नहीं विष्णु के धाम जैसा,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा
3.
व्रत नहीं कोई निराहार जैसा,
प्यार नहीं माता के प्यार जैसा,
शस्त्र नहीं कोई तलवार जैसा,
पुत्र नहीं श्रवण कुमार जैसा,
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा।।।
4.
है ग्यारहवें रुद्र बजरंग, जब जन्म पृथ्वी पे पाया।।
बाल अवस्था में रवि को, फल समझकर खाया।।।।
नाग नहीं कोई शेषनाग जैसा,
देव नहीं कोई महादेव जैसा,
धर्म नहीं कोई गृहस्थ जैसा,
कर्म नहीं कोई सत्कर्म जैसा,
स्वर भी देखे स्वर वाले भी देखे,
पर स्वर ना कोयल की तान जैसा।।
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा
पर देखा ना वीर हनुमान जैसा

  || जय श्री राम ||

भमावत 
थूर, उदयपुर , मेवाड़
मो. 0917891529862

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