मंगलवार, 15 सितंबर 2015

चलता रहा हुं अग्निपथ पर...चलता चला जाऊँगा...
हिन्दू बन कर जन्म लिया मैंने...हिन्दू बन कर ही मर जाऊंगा.
श्री राम की संतान हूँ...रुकना मैंने सीखा नहीं...
महाकाल का भक्त हूँ...झुकना मैंने सीखा नही...
ह्रदय में जो धड़क रहा है...वो धड़कन तेरे नाम का...
रगो में जो बह रहा है...वो लहू है श्री राम का.....
  ॥ जय श्री  ॥

भमावत 
थूर, उदयपुर , मेवाड़
मो. 0917891529862

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