रविवार, 27 सितंबर 2015

प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े फायद

14 प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े फायद
पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने जीवन में उतारते हैं, वे स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यहां जानिए ऐसी ही 14 खास परंपराएं, जिनका पालन अधिकतर परिवारों में किया जाता है…
1. एक ही गोत्र में शादी नहीं करना
Ancient Hindu Traditions & Benefits
कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है ‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’, यानी अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नहीं करना चाहिए। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाईंडनेस आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। संभवत: पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में विवाह न करने की परंपरा बनाई गई।
2. चूड़ियों का महत्व
पुराने समय मे ज्यादातर महिलाये सोने-चांदी की चूड़ियाँ पहना करती थी माना जाता है की सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। महिलाये पुरुषों से कमजोर होती है | चूड़ियाँ उनके हाथो को मजबूत और शक्तिशाली बनती है
3. सिंदूर लगाना
Sindur Khela During Hindu Festival Durga Puja
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सिंदूर हल्दी, नींबू और पारा के मिश्रण से तैयार किया जाता है। सिंदूर महिला के रक्तचाप को नियंत्रित करने के अलावा उनकी सेक्सुअल ड्राइव को भी बढाता है। इसे उस जगह पर लगाया जाता है , जहां पर पिट्यूटरी ग्रंथि होती है, जहां पर सारे हार्मोन डेवलप होते हैं। इसके अलावा सिंदूर तनाव से भी महिलाओं को दूर रखता है।
4. बच्चों का कान छेदन
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विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। और बच्चो के चेहरे पर चमक आती है | इसके कारण बच्चा बेहतर ज्ञान प्राप्त कर लेता है
5 पाव छूना और ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना
Langar
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बड़ो ले चरण स्पर्श करने से रक्त पवाह सर की तरफ होता है और इस तरह से चरणर्-स्पश करने से अपने से बड़ों की विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा शक्ति हमारे शरीर को नयी ऊर्जा प्रदान कर ऊर्जावान, निरोगी और सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण कर देती है। सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है।तथा पृथ्वी की ऊर्जा भी भोजन के साथ हमतक पहुचती है।
6. हाथों में मेहंदी लगाना
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विज्ञान कहता है की मेंहदी बहुत ठंडी होती है इस लगाने से दिमाग ठंडा रहता है और तनाव भी कम होता है इसलिये शादी के दिन दुल्‍हने मेंहदी लगाती हैं, जिससे उन्‍हें शादी का तनाव ना हो पाए।
7. सर पे चोटी रखना
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सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को हिन्दुत्व की पहचान तक माना जाता है । असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है।सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से बचाती है
8. भोजन के अंत में मिठाई खाना
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जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बने लगता है जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठाई खाई जाती है जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है।
9. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है.
Tulsi
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तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।
10. पीपल के वृक्ष की पूजा
piple
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पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करता है और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है। यही कारण है कि इस वृक्ष के नीचे ध्यान एवं मंत्र जप का विशेष महत्व है।


भमावत 
थूर, उदयपुर , मेवाड़
मो. 0917891529862

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